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भारत कनाडा संबंधों पर बर्फ

रविवार, 22 अक्तूबर 2023

भारत की धमकी के बाद कनाडा द्वारा अपने 41 राजनयिकों को वापिस बुलाए जाने की आधारिक घोषणा के बाद दोनों देशों के संबंधों में बर्फ और भी जमने के आसार हैं उम्मीद तो यह की जा रही थी कि रिश्तों में ठंडक नहीं आएगी और कूटनीतिक चैनलों से मामला सुलझ जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ अब सवाल उठता है कि कनाडा से कूटनीतिक रिश्तों का भविष्य क्या है? भारत ने कनाडा के डबल स्टैंडर्ड को पूरी तरह से एक्सपो कर दिया है कि जिस तरह पाकिस्तान आतंकवादियो की पनाह गाह है आतंकियों की फंडिंग पाकिस्तान से होती है, ठीक उसी तरह कनाडा आतंकियों की पनाह गाह बना हुआ है कनाडा सरकार राजनीतिक फायदे के लिए खालिस्तानी तत्वों को बढ़ावा दे रही है

इससे पहले भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीज़ा सर्विस रद्द कर दी है थी इसे लेकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि कनाडा में भारतीय राजनयिकों को को खालिस्तानी आतंकवादी खुलेआम‌ धमकियां दे रहे हैं उन पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्त होने के आरोप लगाकर उनसे बदला लेने के पोस्टर लगाए जा रहे हैं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी बिना सबूतों के निज्जर हत्या कांड में भारत की भूमिका होने के आरोप लगाए थे और भारत सरकार से जांच में सहयोग करने को कहा था जस्टिन ट्रूडो भी खालिस्तानी आतंकियों का सच जानते हैं लेकिन भारत द्वारा बार-बार चेताए जाने के बावजूद वे अपने आरोपों पर कायम हैं

आतंकवाद के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार जीरो टोलरेंस की नीति अपनाए हुए है तिरंगे का अपमान भारत कैसे सहन कर सकता है जो कुछ खालिस्तानी आतंकियों ने वहां भारत के विरोध में किया उसको लेकर भारतीयों में काफी आक्रोश व्याप्त है भारत में आयोजित जी-20 सम्मेलन में जस्टिन ट्रूडो ने भाग लिया था उनके पास एक अच्छा अवसर था कि वह भारत की बातों पर ध्यान देते और उनका निवारण करते लेकिन उन्होंने ने मौका गंवा दिया इससे भारत सरकार की धारणा को बल मिला कि कनाडा इस दिशा में कुछ नहीं करने वाला भारत ने वीजा सेवाएं निलम्बित कर कनाडा के राजनयिकों की ताकत कम करने की मांग की भारत ने 31 अक्टूबर को समय सीमा तय कर मौजूदा राजनयिकों में से दो तिहाई को हटाने को कहा भारत ने दोनों देशों के राजनयिकों की संख्या बराबर करने की मांग की अब कनाडा के पास राजनयिकों को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था इसे कनाडा के विदेशमंत्री ने भा रत के रुख को 'वियना कन्वेंशन " का उल्लंघन बताया यही सब के कारण भारत और कनाडा की दोस्ती खटाई में पड़ चुकी है

फीकी पड़ी चुनावी रौनक

शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

इजराइल और फिलिस्तीन युद्ध के चलते पांच राज्यों की रौनक फीकी दिख रही है चुनावी बिगुल बजट चुका है विभिन्न देशों के प्रत्याशियों के नामों की कई सूचियां भी आ चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद मीडिया खासकर टेलीविजन का ध्यान युद्ध की ख़बरोंहै

अपनी ओर खींचा है सोशल मीडिया पर भी युद्ध छाया हुआ है वैसे चुनावी माहौल को राजनीतिक दलों की बगावत ने भी थोड़ा बदरंग किया है कई जगह तो प्रत्याशी बेमन व आधे अधूरे मन से चुनाव लड़ रहे हैं 2024 के लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल माने जा रहे यह चुनाव जिन पांच राज्यों में होने जा रहे हैं उनमें अधिकतर ऐसे हैं जहां 2019 में बीजेपी को बड़ी कामयाबी मिली थी लेकिन इस बार मध्यप्रदेश, राजस्थान के अलावा छत्तीसगढ़ में भी वह जूझती नजर आ रही है लेकिन बात बनती नहीं दिखती

पांचवे राज्य मेजोरम में 7 नवम्बर को सबसे पहले चुनाव होना है लेकिन यहां के चुनाव नगर-निगम जैसे हैं शायद इसीलिए यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही ज्यादा गंभीर नहीं दिखतीं मिजोरम में 2008 के बाद से कांग्रेस सत्ता में नहीं है तब से मिजो नेशनल फ्रंट लगातार चुनाव जीत रहा है मिजोरम में बीजेपी की वैसी जड़ें नहीं जैसी कई बाकी जगहों पर हैं ऊपर से मणिपुर कांड ने और परेशानी खड़ी कर दी है संभवतः इन्हीं कारणों से अभी तक मिजोरम में कांग्रेस और बीजेपी की गतिविधि नहीं के बराबर है रही है तेलंगाना में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी कहा चुके हैं कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के सी आर ने उनसे एनडीए में शामिल होने के लिए अनुरोध किया था लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था इसके बाद राहुल गांधी को बीजेपी के साथ ही सत्तारूढ़ दल बीआर एस पर भी निशाना साधने का मौका मिल गया हालांकि तेलंगाना पर बीजेपी की नज़र बनी हुई है और यहां रैलियों के लिए कई केन्द्रीय मंत्री भेजे जा रहे हैं मौजूदा समीकरणों का मुकाबला सत्तारूढ़ दल बीआर एस और कांग्रेस के साथ दिख रहा है कांग्रेस छह चुनावी गारंटियों की घोषणा कर चुकी है जबकि इसका मुकाबला सत्तारूढ़ बीआर एस अपनी कल्याणकारी राजनीति से करने की कोशिश कर रही है

उधर छत्तीसगढ़ जहां कांग्रेस सत्ता में है, में की नेता नाराज थे कायदे से यहां बगावत होना चाहिए थी लेकिन कांग्रेस ने सतर्कता दिखाई और बड़े कांग्रेस के नेता सिंहदेव को बगावत से पहले ही काबू में कर लिया लेकिन बीजेपी में यहां भी बगावत मुमकिन है क्योंकि बीजेपी यहां परिवार की बैसाखी लेकर चलने की कोशिश कर रही है बीजेपी अपने 2018 के प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए हिन्दू कट्टरपंथियों के साथ साथ तीन बार सीएम रहे रमन सिंह जैसे अनुभवी नेता पर भरोसा कर रही है

लेकिन यह सब तो आज की स्थिति है चुनावों में बाजी पलटते देर नहीं लगती कौन जाने कल ऊंट किस करवट बैठे या फिर लेट ही जाए वैसे विधानसभा चुनावों में रंग उभरने से पहले ही इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जंग छिड़ गई सबकी निगाहें इस जंग जंग पर लगी हैं तो चुनावों में समय निकालना कठिन हो रहा है लेकिन जिस ढंग से दूर देश की यह जंग इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं उसे देखकर लोग कयास लगा रहे हैं कि क्या थोड़ा जोर पकड़ने के बाद चुनावों में सीन पलट भी सकता है,? यदि ऐसा कोई संयोग हुआ तो यह नया प्रयोग होगा